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डेंगू का बढ़ता संक्रमण: पटना-गया के बाद दो नए जिले सबसे ज्यादा प्रभावित

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पटना। स्वास्थ्य विभाग, नगर विकास एवं आवास विभाग की तमाम कोशिशों के बाद भी राज्य में डेंगू का प्रकोप कम होता नहीं दिखता। प्रदेश की राजधानी पटना सर्वाधिक डेंगू प्रभावित है। जबकि दूसरे पायदान पर गया जिला है।

पटना में इस वर्ष अब तक डेंगू के 3782 केस सामने आ चुके हैं। जबकि गया में 414 केस मिल चुके हैं। राज्य में इस वर्ष अब तक डेंगू के कुल 7641 मामले मिल चुके हैं।
स्वास्थ्य विभाग की ओर से तीन नवंबर को जारी रिपोर्ट बताती है कि पटना और गया जिले के साथ ही वैशाली, मुजफ्फरपुर, नालंदा, बेगूसराय, औरंगाबाद, सारण में सर्वाधिक मामले मिल चुके हैं। विभाग के अनुसार, पटना में इस वर्ष अब तक डेंगू के 3782 केस सामने आए हैं।

पटना की आबादी का ज्यादा होना इसकी वजह बताई जा रही है। गया में भी विभाग आबादी और साफ-सफाई को डेंगू की बड़ी वजह मानता है। रिपोर्ट के अनुसार, पटना और गया के बाद वैशाली जिले में इस वर्ष डेंगू के 161 मामले सामने आए हैं।

मुजफ्फरपुर में 254, नालंदा में 242, बेगूसराय में 208, सहरसा में 206, सारण में 169 केस मिल चुके हैं। अगर बीते वर्षों के आंकड़ों पर गौर करें तो 2019 में प्रदेश में डेंगू के 6712 केस मिले थे। जबकि 2020 में महज 493 और 2021 में 633 केस मिले थे। जबकि 2022 में डेंगू मरीजों की संख्या 13,972 पर पहुंच गई थी।

इसके बाद 2023 में केस की संख्या बढ़कर 20,224 तक पहुंच गई। इस वर्ष डेंगू के मामले बेकाबू ना हो और 2022, 23 की स्थिति न बने इसके लिए सरकार के कई महकमों द्वारा लगातार प्रयास किए जा रहे हैं बावजूद डेंगू के मामले कम होने की बजाय प्रतिदिन बढ़ रहे हैं।

हर हफ्ते मरीज व बीमारी की देनी होगी जानकारी 

उधर, सिवान जिले के सभी निजी अस्पतालों को हर हफ्ते अपने यहां आने वाले मरीजों और उनकी बीमारी की जानकारी स्वास्थ्य विभाग को देनी होगी। विभाग अपने आइडीएसपी कार्यक्रम में निजी अस्पतालों को भी जोड़ने जा रहा है। निजी अस्पतालों को भी सरकारी की तर्ज पर बीमारियों की जानकारी फार्म भरकर देनी होगी।

इससे पता चलेगा कि जिले में किस बीमारी का प्रकोप है। इससे बीमारियों की रोकथाम में सहूलियत होगी। मामले में सिविल सर्जन डॉ. श्रीनिवास प्रसाद ने बताया कि आइडीएसपी कार्यक्रम में निजी अस्पतालों को भी जोड़ने का काम शुरू कर दिया गया है।

इसमें हर हफ्ते अपने यहां आने वाले मरीजों और उनकी बीमारी की जानकारी स्वास्थ्य विभाग को देनी होगी। हालांकि अभी अधिकांश निजी अस्पताल इसकी जानकारी नहीं दे रहे हैं।