दलदली रास्ते की मरम्मत करने युद्ध स्तर पर कार्य जारी, पक्की सड़क बनाने की कब होगी तैयारी..?
मुरली मनोहर शर्मा।
पृथक छत्तीसगढ़/पामगढ़।
पामगढ़ ब्लॉक के ग्राम चंडीपारा को पामगढ़ से जोड़ने वाले नहर किनारे दलदली रास्ते के मामले में पृथक छत्तीसगढ़ अखबार में खबर प्रकाशन के बाद प्रशासन ने मामले पर तत्काल संज्ञान लिया। नहर विभाग के इंजीनियर राजेश श्रीवास ने बताया कि नहर किनारे कीचड़ भरे रास्ते में मुरुम गिरा कर रास्ते के गड्ढों को जेसीबी द्वारा बराबर किया जा रहा है। इसके साथ ही जरूरत पड़ने पर बड़े बड़े गड्ढों में जीरा गिट्टी भी डाला जा रहा है। जिससे बारिश में गड्ढों के दबने की समस्या न रहे।
दलदल से तो मिली राहत, लेकिन अब भी बाकी है एक आफत
इस रास्ते की मरम्मत से अब एक ओर जहाँ आम जनता को कीचड़ से होकर गुजरने की समस्या से राहत मिलेगी तो वही दूसरी तरफ विद्यार्थियों को भी दलदल रास्ते से छुटकारा मिलेगा और वे सुरक्षित और सही समय पर विद्यालय एवं महाविद्यालय पहुँच सकेंगे। प्रशासन की त्वरित कार्यवाही से रास्ते की मरम्मत का काम तो पूरा हो ही जायेगा किंतु इसके बाद भी एक विकट समस्या शेष रह जाती है जिसका समाधान यदि तत्काल नहीं किया गया तो रास्ते की मरम्मत में किया गया व्यय व्यर्थ हो जाएगा और प्रशासन को भारी आर्थिक नुकसान उठाना पड़ सकता है और वह विकट समस्या है इस रास्ते पर भारी वाहनों का प्रवेश।
भारी वाहनों का प्रवेश बन रहा मार्ग के क्षतिग्रस्त होने की बड़ी वजह
दरअसल इस रास्ते से होकर ट्रेक्टर, हाइवा जैसे भारी वाहनों द्वारा निर्माण कार्य हेतु रेत, गिट्टी आदि सामान ले जाया जाता है। चूंकि यह रास्ता केवल मुरुम से बनाई जाती है इस वजह से भारी वाहनों का दबाव सह नही पाती और जगह जगह मुरुम के दबने के कारण बड़े बड़े गड्ढे बन जाते हैं। बारिश का पानी इन्ही गड्ढों में भरते जाता है और रास्ते को क्षतिग्रस्त कर आम लोगों की जान का खतरा बन जाता है। ऐसे में यह अति आवश्यक हो जाता है कि इस रास्ते से भारी वाहनों के प्रवेश पर प्रतिबंध लगाया जाए और इसके लिए चण्डीपारा और पामगढ़ नहर में बनी दोनों पुल के पास मजबूत बेरिकेटिंग की व्यवस्था की जाए ताकि भारी वाहन इस रास्ते पर प्रवेश ही न कर सकें और यह रास्ता पक्की सड़क बनने तक सुगम बना रहे और प्रशासन को भी आर्थिक नुकसान न उठाना पड़े।
पक्की सड़क बना कर समस्या का करना होगा निदान, नहीं तो सड़क पर उतरेंगे आम इंसान
भले ही प्रशासन इस रास्ते की मरम्मत कर के कुछ समय के लिए आम जनता को कीचड़ से और स्वयं को आम जनता के सामने शर्मसार होने से बचा लेगी लेकिन शीघ्र ही इस रास्ते को पक्की सड़क में बदलना अनिवार्य हो जाएगा क्योंकि प्रशासन भली भाँति जानती है कि इस समस्या का एक ही समाधान है और वह है इस रास्ते को पक्की सड़क में बदलना। इसके उपरांत इस रास्ते पर कीचड़ और इसकी बार बार मरम्मत की समस्या नहीं के बराबर रह जायेगी। सूत्र बताते हैं कि यदि प्रशासन इस रास्ते पर तत्काल मजबूत बेरिकेटिंग कर भारी वाहनों के प्रवेश पर प्रतिबंध नहीं लगाती है तथा बरसात के बाद यदि प्रशासन और जनप्रतिनिधियों के द्वारा इस रास्ते को पक्की सड़क में नही बदला गया तो इससे प्रभावित होने वाले सभी गाँवों की जनता सड़क पर उतरेगी और अपने अधिकारों की मांग करते हुए उग्र आंदोलन करेगी और इस जनांदोलन को रोक पाना या संभाल पाना प्रशासन के लिए आसान नहीं होगा।
अब यह तो समय आने पर पता चलेगा कि जनप्रतिनिधियों के मन में आम जनता की समस्याओं का समाधान करने के प्रति कितनी जवाबदेही है और साथ ही यह भी सिद्ध हो जाएगा कि यहाँ बैठे अधिकारी आम जनता के हितों को ध्यान में रखते हुए कार्य करने के लिए कितने संकल्पित है या शासन के द्वारा दिये गए दायित्व को केवल पद और अधिकार सहित अपने तथा अपने परिवार के भरण पोषण का साधन मात्र समझते है।