जिम्मेदारों को आम जनता की समस्याओं से नहीं रहा कोई सरोकार
मुरली मनोहर शर्मा।
पृथक छत्तीसगढ़/पामगढ़।
अभी शासकीय कन्या पूर्व माध्यमिक शाला पामगढ़ में बदबूदार गंदगी और नाली निर्माण सहित स्वच्छ वातावरण निर्मित करने का मामला शांत हुआ ही नहीं कि बच्चों की शिक्षा की राह में एक और मुसीबत ने अड़चन पैदा कर दी है। जैसा कि हम सभी जानते हैं कि किसी भी क्षेत्र के विकास में वहाँ की सड़कों और अन्य मार्गों की विशेष भूमिका होती है। आम जनता की सुविधा के लिए इन सड़कों और रास्तों को सुगम बनाने की जिम्मेदारी उस क्षेत्र के जनप्रतिनिधियों एवं अधिकारियों की होती है। किंतु कभी कभी जनप्रतिनिधियों एवं अधिकारियों की सुस्ती और अनदेखी आम जनता पर भारी पड़ जाती है। ऐसा ही नज़ारा जांजगीर जिले के पामगढ़ ब्लॉक में देखने को मिल रहा है जहाँ जनप्रतिनिधियों और अधिकारियों के गैरजिम्मेदाराना रवैये के कारण पिछले 40 वर्षों से कीचड़ भरे रास्ते पर चलना आम जनता का नसीब बन चुका है।
हम बात कर रहे हैं पामगढ़ के उस नहर किनारे के रास्ते की जो हेडसपुर, भलवाही और सिल्ली गाँव सहित कई गाँवों को जांजगीर रोड पामगढ़ से जोड़ती है। इस रास्ते से लोग आसानी से कम समय में पामगढ़ पहुंच सकते हैं और अपने दैनिक जीवन के कार्याे को आसानी से पूरा कर सकते हैं। पिछले 40 वर्षों से आम जनता सहित विद्यार्थियों के लिए यह रास्ता वरदान से कम नही है क्योंकि इस रास्ते से आने जाने पर समय की बचत होती है जिससे सभी लोग अपने गंतव्य स्थल तक सही समय पर पहुँच पाते हैं। लेकिन इस क्षेत्र के मतलबपरस्त जिम्मेदारों ने इस वरदान को अभिशाप में बदल दिया है। उन्होंने जनता के हित मे इस रास्ते को न तो क़भी पक्की सड़क बनवाने की पहल की और ना ही समय रहते बरसात से पहले इसकी दशा सुधारने का प्रयास किया। नतीजा ये हुआ कि हर साल बरसात के मौसम में यह रास्ता कीचड़ से सराबोर हो जाता है और बाकी मौसम में बड़े-बड़े गड्ढों में बदल जाता है। इस तरह आज भी यह रास्ता आम जनता के लिए वरदान होते हुए भी सिरदर्द बना हुआ है।इस रास्ते के न बनने से आम जनता को बहुत सारी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है आइए उन मुश्किलों से आप सभी को अवगत कराते हैं।
स्कूली बच्चों की शिक्षा में रुकावट और जान पर बन रही आफत
इस रास्ते का यदि किसी के द्वारा सबसे ज्यादा उपयोग किया जाता है तो वे हैं हमारे देश के भविष्य हमारे बच्चे जो रोज इसी रास्ते से हो कर विद्यालय या महाविद्यालय में पढ़ने जाते हैं। अभी बरसात के मौसम में ये बच्चे जान जोखिम में डालकर पैदल, सायकल या मोटरसाइकिल के द्वारा कीचड़ की दलदल को पार करते हुए पढ़ने जाते हैं। कभी कभी इनकी ये मजबूरी इनकी जान पर बन आती है क्योंकि इस रास्ते के एक तरफ बड़ी नहर है तो दूसरी तरफ ढलान वाले गड्ढे और खेत हैं। अगर गलती से कोई नहर या खेत में गिरा तो गम्भीर चोटें लगने के साथ उनकी जान भी जा सकती है। लेकिन इन समस्याओं से जिम्मेदारों को क्या फर्क पड़ता है,उनके बच्चे तो इस रास्ते से कभी आते ही नहीं या उनके बच्चे तो जिले अथवा राज्य से बाहर किसी सुविधासंपन्न विद्यालयों और महाविद्यालयों में पढ़ते होंगे।
इमरजेंसी में मरीजों को नहीं मिल पाती तत्काल उपचार की सुविधा
हेडसपुर, भलवाही और सिल्ली गाँव की आम जनता इस रास्ते के न बनने से ज्यादा प्रभावित होती रही है। बरसात के मौसम में यदि किसी व्यक्ति को साँप या बिच्छू ने काट लिया तो कीचड़ के दलदल को पार कर पाना उनके लिए चुनौती बन जाती है और त्वरित उपचार न मिलने के कारण व्यक्ति की मौत भी हो जाती है। यदि वे मुख्य सड़क से जाना भी चाहें तो न चाहते हुए भी तिगुनी दूरी तय करने के बाद ही अस्पताल पहुंच पाएंगे तब तक जहर व्यक्ति के शरीर मे फैल कर उसे मौत की नींद सुला चुका होगा।इसके साथ ही अन्य मरीज जिनको तत्काल उपचार की आवश्यकता पड़ती है इस रास्ते के न बनने से उनकी जान भी मुश्किल में पड़ जाती है।
जर्जर और दलदल से भरा रास्ता बन रहा दुर्घटनाओं का सबब
आज तक इस रास्ते से होकर गुजरने वाले पैदल विद्यार्थियों, सायकल सवार, दुपहिया वाहनों सहित ट्रेक्टर आदि वाहनों से सामान ले जाते समय उनके साथ कई दुर्घटना भी घटित होती आ रही है। फिर भी इस क्षेत्र के अधिकारियों और जनप्रतिनिधियों ने कभी इस पर विचार नहीं किया। अभी बरसात के मौसम में यह रास्ता आम जनता सहित स्वयं जिम्मेदारों के लिए भी खतरनाक साबित हो रहा है क्योंकि कुछ जनप्रतिनिधियों और अधिकारियों के निवास और कार्यस्थल तक जाने का भी यही मार्ग है। विशेषतः विद्यार्थियों के लिए यह रास्ता चिंता का विषय बना हुआ है। क्योंकि उन्हें अभी बरसात के 2 महीने रोज स्कूल कॉलेज जाना है। इसके बावजूद जिम्मेदारों की चुप्पी लोगों की समझ से परे है।
जनप्रतिनिधियों और अधिकारियों ने तोड़ा आम जनता का विश्वास, केवल खुद का किया विकास
सूत्र बताते हैं कि इस रास्ते को लेकर अब लोगों में चर्चा होने लगी है और जनप्रतिनिधियों तथा अधिकारियों के इस रास्ते के निर्माण को लेकर गैरजिम्मेदाराना रवैये को देख कर आक्रोश बढ़ता ही जा रहा है। सूत्रों के मुताबिक आम जनता के बीच यही बात हो रही है कि 40 वर्षों से इस रास्ते के बनने के साथ क्षेत्र के विकास का सपना दिखाते हुए जनप्रतिनिधियों ने आम जनता को केवल वोटबैंक की तरह इस्तेमाल ही किया है। साथ ही जनता के भरोसे को तोड़ते हुए केवल व्यक्तिगत विकास को ही प्राथमिकता दी है। यदि यह बात सत्य नहीं है तो आज तक इस रास्ते को पूरी तरह सुगम बनाने की पहल क्यों नही की गई। केवल कुछ मीटर सीसी रोड बना कर खानापूर्ति कर दी गयी है जो कि गुणवत्ताहीन निर्माण का बेहतर उदाहरण है। सूत्रों ने बताया कि अब आम जनता इस मामले को ले कर उग्र आंदोलन करने की ठान रही है क्योंकि ये उनके गाँव के विकास के साथ-साथ स्वयं उनके तथा उनके परिवार सहित बच्चों के उज्ज्वल भविष्य पर असर डालने वाला मामला है।
अब देखना यह होगा कि आम जनता के हितों को ध्यान में रखते हुए क्षेत्र के जिम्मेदार अपने रवैये में बदलाव करते हैं और इस मार्ग का निर्माण कर लोगों को राहत की साँस लेने देते हैं या हमेशा की तरह अब भी इस गम्भीर समस्या को नजरअंदाज कर आम जनता को निकट भविष्य में उग्र आंदोलन करने पर मजबूर करते हैं। ये तो समय आने पर ही पता चलेगा।