Home विदेश साइबर हमले के चलते जापान एयरलाइंस की उड़ानें प्रभावित, टिकट बिक्री बंद

साइबर हमले के चलते जापान एयरलाइंस की उड़ानें प्रभावित, टिकट बिक्री बंद

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गुरुवार की सुबह-सुबह जापान में साइबर अटैक हुआ। यह साइबर हमला जापान की दूसरी सबसे बड़ी एयरलाइन कंपनी जापान एयरलाइंस के सर्वर पर हुआ। इसके बाद जापान एयरलाइंस ने टिकटों की बिक्री रोक दी है।

जापान एयरलाइंस ने गुरुवार को कहा कि साइबर अटैक की वजह से कुछ घरेलू और अंतरराष्ट्रीय फ्लाइ्टस में देरी हो सकती है। कंपनी ने यह भी कहा कि उसने सिस्टम में खराबी पैदा करने वाले राउटर को अस्थायी रूप से बंद कर दिया है।

इसके अलावा गुरुवार को डिपार्ट होने वाले विमानों के लिए टिकटों की बिक्री भी रोक दी गई है। यह साइबर हमला स्थानीय समयानुसार सुबह 7:24 बजे हुआ। इससे कंपनी के आंतरिक और बाहरी सिस्टम दोनों प्रभावित हुए हैं।

हमने स्थिति की गंभीरता को समझ लिया है और सिस्टम को रिकवर करने का प्रयास कर रहे हैं।

जापान की एक और बड़ी एयरलाइन कंपनी एएनए होल्डिंग्स ने कहा कि उनके सिस्टम पर साइबर अटैक का कोई संकेत नहीं दिखा और हमारी सेवाएं सुचारू रूप से काम कर रही हैं। एएनए होल्डिंग्स को जापान एयरलाइंस का प्रतिद्वंदी माना जाता है।

अभी क्रिसमस से पहले अमेरिकन एयरलाइन ने अपनी नेटवर्क हार्डवेयर में तकनीकी समस्या के कारण एक घंटे के लिए अपनी सभी उड़ानें रोक दी थीं। इससे हजारों यात्री प्रभावित हुए थे।

पहले भी हुए हैं साइबर अटैक
ऐसा नहीं है कि एयरलाइन कंपनियों पर साइबर अटैक का ये कोई पहला मामला है।
इसके पहले 2022 में रैनसमवेयर ऑपरेटर ग्रुप डाइक्सिन टीम ने एयर एशिया के 50 लाख यात्रियों का डाटा चुराने का दावा किया था।
हैकर ग्रुप ने इसका एक सैंपल जारी कर कहा था कि इसमें कंपनी के कर्मचारियों के व्यक्तिगत रिकॉर्ड भी शामिल हैं।
एयर एशिया मलेशिया की नामी एयरलाइन कंपनी है।
2023 में स्वीडन की एयरलाइन कंपनी स्कैंडीनैवियन एयरलाइन की वेबसाइट पर भी साइबर अटैक हुआ था।

एयर इंडिया पर भी हुआ था अटैक
वहीं फरवरी 2021 में एयर इंडिया के सर्वर पर भी साइबर हमला हुआ था। इस दौरान करीब 45 लाख यात्रियों का डेटा चुराया गया था। एयर इंडिया ने मई 2021 में इस संबंध में बयान जारी कर साइबर अटैक की बात स्वीकार की थी।
वहीं फरवरी 2024 में भारतीय वायुसेना के इंटर्नल कंप्यूटर सिस्टम पर भी साइबर अटैक करने का प्रयास किया गया था। लेकिन हैकर इसमें सफल नहीं हो पाए। हैकर्स ने साइबर हमले के लिए गूगल की प्रोग्रामिंग लैंग्वेज की मदद से बनाए गए ओपन-सोर्स मालवेयर का इस्तेमाल किया था।