पृथक छत्तीसगढ़ /सरायपाली।
शासन द्वारा पर्यावरण संरक्षण और संसाधनों के समुचित उपयोग को ध्यान में रखते हुए फ्लाई ऐश ईंटों का प्रयोग बढ़ाने के निर्देश दिए गए थे। लेकिन इसके बावजूद शासकीय भवनों और अन्य संरचनाओं के निर्माण में इन निर्देशों की अनदेखी की जा रही है। स्थानीय प्रशासन की ओर से दिए गए आदेशों की धज्जियां उड़ाते हुए फ्लाई ऐश ईंटों की जगह लाल ईंटों का प्रयोग किया जा रहा है।
हाल ही में सरायपाली ब्लॉक अंतर्गत ग्राम पंचायत तोरेसिंहा स्थित प्राथमिक कृषि साख सहकारी समिति अंतर्गत एक शासकीय गोदाम (गोडाउन) के निर्माण में लाल ईंटों का प्रयोग देखा गया है, जो पर्यावरण नियमों का उल्लंघन है। फ्लाई ऐश ईंटें, जो कि थर्मल पावर प्लांट से उत्पन्न फ्लाई ऐश से बनाई जाती हैं, एक बेहतर पर्यावरण-अनुकूल विकल्प माना गया है। इसका उपयोग न केवल प्रदूषण को कम करता है, बल्कि यह आर्थिक दृष्टि से भी लाभकारी है क्योंकि यह लाल ईंटों की तुलना में सस्ती होती हैं। शासन के निर्देशों के बावजूद लाल ईंटों का प्रयोग कर ठेकेदारों और अधिकारियों की मिलीभगत से सरकारी धन का दुरुपयोग हो रहा है। क्षेत्र के कुछ सामाजिक संगठनों ने प्रशासन के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई है और निर्माण कार्य की जांच की मांग की है। सूत्रों के अनुसार, लाल ईंटों के प्रयोग का प्रमुख कारण ठेकेदारों की सुविधा और आपूर्ति की सुगमता है। इसके अलावा, ठेकेदारों द्वारा कम लागत वाली और निम्न गुणवत्ता की लाल ईंटों का प्रयोग करके अधिक मुनाफा कमाया जा रहा है। फ्लाई ऐश ईंटों की उपलब्धता में कभी-कभी देरी और परिवहन लागत भी लाल ईंटों के पक्ष में जा रही है, जिसके चलते नियमों की अनदेखी हो रही है। इस सम्बन्ध में पर्यावरण विशेषज्ञों का कहना है कि फ्लाई ऐश ईंटों का प्रयोग न केवल पर्यावरण के लिए लाभकारी है, बल्कि यह निर्माण की गुणवत्ता भी बढ़ाता है। लाल ईंटों का निर्माण जंगलों के विनाश और मिट्टी के कटाव का कारण बनता है, जो दीर्घकालिक रूप से नुकसानदेह है। ऐसे में शासन की ओर से इस प्रकार की अनदेखी गंभीर चिंता का विषय है। इस प्रकार की घटनाएं यह दर्शाती हैं कि शासन द्वारा बनाए गए नियमों और निर्देशों का पालन सुनिश्चित करने के लिए कड़ी निगरानी और सख्त कदम उठाए जाने की आवश्यकता है, ताकि पर्यावरण संरक्षण के साथ-साथ सरकारी धन का सही उपयोग हो सके।