दृष्टि बाधित विद्यालय में आजादी का पर्व हर्षोल्लास से मनाया गया
दिव्यांगों के चेहरे पर मुस्कुराहट देख आत्मिक सुख की अनुभूति – अधिवक्ता चितरंजय पटेल
पृथक छत्तीसगढ़/सक्ती।
आजादी पर्व स्वतंत्रता दिवस के ७७ वीं वर्षगांठ पर दृष्टिबाधित विशेष विद्यालय में जनभागीदारी समिति के अध्यक्ष एवम उच्च न्यायालय अधिवक्ता चितरंजय पटेल के करकमलों से राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा भारत माता की जय के उद्घोष के साथ फहराया गया इन पलों में डा कात्यानी सिंह, पार्षद श्रीमती चांदनी सहीस, पुष्पेंद्री कसेरा, श्रीमती पद्मिनी चितरंजय पटेल, लीनेश क्लब के विजया जायसवाल, मानवाधिकार एवं सामाजिक न्याय आयोग के पदाधिकारी, मीडिया एवम सामाजिक संगठनों के प्रतिनिधि एवम विद्यालय परिवार के लोग शामिल रहे।
पश्चात सांस्कृतिक समारोह में मुख्य अतिथि के आसंदी से प्रथम जिला न्यायाधीश प्रशांत शिवहरे ने दिव्यांगों को ईश्वर का खास कृति बताते हुए कहा कि दिव्यांग समाज के लिए भी खास हैं जो अपने शरीर से नहीं बल्कि अपने हुनर से समाज में पहचान बनाते हैं तो वहीं द्वितीय जिला न्यायाधीश बी आर साहू ने दिव्यांगों से रुबरु चर्चा में उनके दिनचर्या में बारे में जानकर उनकी तारीफ करते हुए उनके उज्जवल भविष्य की कामना किया।
मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी श्रीमती गंगा पटेल ने दिव्यांग विद्यार्थियों के प्रस्तुति को देखकर कहा कि आप इसी तरह अपने प्रतिभा से समाज में अपनी विशेष पहचान कायम करें तो वहीं न्यायिक मजिस्ट्रेट दिव्या गोयल ने आजादी के पर्व पर बधाई देते हुए दिव्यांगों के सफल और सुखमय जीवन की कामना किया।
उच्च न्यायालय अधिवक्ता चितरंजय पटेल ने समारोह के अध्यक्षीय आसंदी से आशीर्वचन उद्बोधन में कहा कि दिव्यांग बच्चों के चेहरे पर मुस्कुराहट देख कर आत्मिक सुख मिलता है फिर शास्त्रों में भी बखान है कि इन दिव्यांग बच्चों के अनुग्रह से नवग्रह के प्रकोप से भी हम बच जाते हैं इसलिए हमारा प्रयास हो कि इन खास ईश्वरीय कृति से जुड़कर इन्हें समाज का प्रेम स्नेह स्वरुप अपनत्व प्रदान करें तो निश्चित रुप से दिव्यांग राष्ट्र के प्रगति में अपना योगदान सुनिश्चित करेंगे।
इन पलों में संस्था के जन भागीदारी समिति के सचिव पुष्पेंद्र कौशिक ने दिव्यांगों बच्चों के विशेष दक्षता से अवगत कराया तब संस्था के छात्र ललित ने अंग्रेजी में भाषण दिया तथा सत्यनारायण व वेदप्रकाश ने संस्कृत, हिंदी व अंग्रेजी मेंअपना परिचय दिया तो वहीं कक्षा ३ री की साधना ने अभ्यागतों के सामने ३२ का पहाड़ा सुनाकर सबको मंत्रमुग्ध कर दिया। इस प्रकार विद्यालय में अध्यनरत दिव्यांग विद्यार्थियों के साथ शिक्षकों ने संगीत, नृत्य, नाटक की प्रस्तुति के साथ साबित कर दिया कि भले ही शरीर से दिव्यांग हों, पर वन हुनर और इच्छा शक्ति के बल पर अपनी पहचान बनाने का जज्बा उनके भीतर कूट कूट कर भरा है। कार्यक्रम का संचालन राष्ट्रीय मानवाधिकार एवं सामाजिक न्याय आयोग के जिलाध्यक्ष महेंद्र बरेठ के साथ विद्यालय की शिक्षिका त्रिलोत्तमा खरे ने संयुक्त रूप से किया तथा आभार प्रदर्शन संचालक बिंदेश्वरी आदिले ने किया तो वहीं कार्यक्रम को सफल बनाने राष्ट्रीय मानवाधिकार एवं सामाजिक न्याय आयोग के रेवती नंदन पटेल, फागूलाल, दलेश साहू, महिला सेल के कांता यादव, पुष्पा यादव, मांडवी साहू, श्रीमती गबेल, मिडिया सेल योम लहरे, उदय मधुकर, महेंद्र कर्ष, पूरन भारद्वाज आदि सामाजिक संगठनों के प्रतिनिधियों की सक्रिय सहभागिता रही।
इन पलों में राष्ट्रीय मानवाधिकार एवं सामाजिक न्याय आयोग की ओर से न्यौता भोज का आयोजन किया गया था तो वहीं लिनेश क्लब की ओर से दिव्यांगों को पाठ्य सामग्री एवम् मिष्ठान्न वितरण किया गया।