पृथक छत्तीसगढ़/सक्ती।
छत्तीसगढ़ के सक्ती जिले की पावन धरा तुर्रीधाम शिवभक्तों के लिए अत्यंत ही पूजनीय है, यहां श्रद्धालु बारहों मास आते हैं, लेकिन सावन महीने में अधिक संख्या में शिव भक्त अपनी मनोकामना लेकर तुर्रीधाम पहुंचते है, स्थानीय दृष्टिकोण से यहाँ उपस्थित शिवलिंग, प्रमुख ज्योतिर्लिंगों के समान ही वंदनीय है, मंदिर के निर्माण संबंधित जानकारी देते हुए पुजारी ने बताया की इसका निर्माण स्थानीय राजा-रानी द्वारा कराया गया था, परंतु यह किस राजा के शासन में निर्मित हुआ यह अज्ञात है, इसका जीर्णोद्धार 3-4 पीढ़ियों से राज घराने द्वारा किया जा रहा है।
इस मंदिर का स्थापत्य अनोखा है, यह शिवलिंग पूर्वाभिमुख है, इसके चारों ओर मंडप बनाया गया है, गर्भगृह मंदिर के मुख्य प्रवेश द्वार से 8 फिट की गहराई पर है, गर्भगृह पहुँचने हेतु नीचे की ओर होती हुई सीढ़ियाँ बनी हुई है, इस तुर्रीधाम की प्रमुख विशेषता यह है कि इसके गर्भगृह में एक प्राकृतिक जलस्त्रोत है जो निरंतर शिवलिंग पर गिरते रहता है, जिसे स्थानीय भाषा में तुर्री (निरंतर)कहते है विद्यमान है, यह जल स्त्रोत अनादि काल से अनवरत बहता हुआ आ रहा है। इसी जलस्रोत के नीचे ही प्राचीन शिवलिंग स्थापित है, जिस पर सदैव ही प्राकृतिक रूप से शिवलिंग पर जल अभिषेक होता रहता है।
यहां से निकलने वाला जलस्रोत बना हुआ है रहस्य
यह जलस्रोत कहां से आ रहा है इसका पता आज तक नहीं चल पाया है, इस जलस्रोत की खासियत है कि इसकी गति अलग-अलग समय में धीमी एवं गति तेज हो जाती है, पर यह जलस्रोत कभी भी बंद नहीं हुआ है. इस जलधारा को स्थानीय लोग गंगाजल के समान ही पवित्र एवं औषधीय गुणों से भरपूर मान कर बोतलों में भरकर अपने घर लेकर जाते है, मान्यता है कि अस्वस्थ होने पर इस जल को पिलाने से अत्यंत ही लाभ मिलता है, मंदिर के गर्भ गृह में शिवलिंग के निकट ही नंदी विराजमान है, इस प्राचीन नंदी की खंडित प्रतिमा को ग्रामीण गज समझते है, दूसरा नंदी मंदिर के शिवलिंग के सम्मुख जलधारा घाट के समीप नंदी विराजमान है जिसे जीर्णोद्धार के समय बनाया गया। गर्भगृह में अन्य देवी देवता भी विराजमान है. शिवालय से टीले की ओर रामजानकी जी, माता दुर्गा, हनुमान जी का मंदिर जैसे दर्जनों मंदिर तुर्रीधाम में विद्यमान है। यह तुर्रीधाम सक्ति-चांपा मार्ग पर सक्ति जिला मुख्यालय से 12 कि.मी. की दूरी पर ग्राम पंचायत बासीन के अंतर्गत आता है। यहां सावन मास में शिव भक्तों संख्या हजारों में होती है, यहां छत्तीसगढ़ के विभिन्न जिलों के अलावा पड़ोसी राज्य ओडिशा, मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र एवं अन्य राज्य से भी श्रद्धालु पहुंचते है। और दर्शन कर आशीर्वाद प्राप्त करते है।