Home छत्तीसगढ़ अनाथ और बेसहारा हेमबती के हौसले की उड़ान

अनाथ और बेसहारा हेमबती के हौसले की उड़ान

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रायपुर :  माता-पिता की मृत्यु के बाद पूर्णत अनाथ और बेसहारा हुई हेमबती ने अपने हौसले से उस मुकाम को हासिल किया, जिसकी सिर्फ कल्पना ही की जा सकती है। बीते पांच सालों से छत्तीसगढ़ राज्य बाल कल्याण परिषद द्वारा संचालित बालिका गृह कोण्डागांव में रह रही हेमबती नाग ने इस दौरान पूरे मनोयोग के साथ न सिर्फ जूडो खेल का प्रशिक्षण प्राप्त किया, बल्कि कई क्षेत्रीय एवं राष्ट्रीय स्पर्धाओं में पदक जीत कर अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाया है। हेमबती नाग की इस गौरवपूर्ण उपलब्धि के लिए 26 दिसंबर 2024 को राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मु ने उन्हें प्रधानमंत्री राष्ट्रीय बाल पुरस्कार 2024 से सम्मानित किया। यह कार्यक्रम राष्ट्रपति भवन नई दिल्ली में आयोजित हुआ था।

 हेमबती नाग की इस शानदार उपलब्धि पर छत्तीसगढ़ विशेषकर कोण्डागांव जिले के वनांचल के गांवों में खुशी की लहर दौड़ गई है। अभी हाल ही में हुए बस्तर ओलम्पिक में बस्तर संभाग के सातों जिलों के लगभग डेढ़ लाख से अधिक युवाओं ने विभिन्न स्पर्धाओं में हिस्सा लिया और अपनी खेल प्रतिभा का प्रदर्शन किया। बस्तर अंचल के युवाओं के लिए हेमबती नाग एक रोल मॉडल बन कर उभरी है।

गौरतलब है कि मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने हेमबती नाग इस गौरवपूर्ण उपलब्धि के लिए उन्हें बधाई और शुभकामनाएं देते हुए कहा था कि यह समस्त छत्तीसगढ़वासियों के लिए यह गर्व का विषय है। हेमबती ने कठिन परिस्थितियों में भी अपना हौसला नहीं खोया, अपनी अथक मेहनत और कड़े संघर्ष से उन्होंने खेलो इंडिया नेशनल गेम्स और राष्ट्रीय स्तर की अन्य प्रतियोगिता में स्वर्ण, रजत एवं कांस्य पदक जीतकर छत्तीसगढ़ को गौरवान्वित किया है। छत्तीसगढ़ सरकार ऐसे प्रतिभावान बच्चों को प्रोत्साहित करने और उनके सपनों को साकार करने के लिए प्रतिबद्ध है। निश्चित ही हेमबती बिटिया की यह उपलब्धि प्रदेश की अन्य बेटियों के लिए प्रेरणादायक है।

हेमबती नाग की परिस्थिति और कामयाबी को बया करता यह शेर ‘तूफान कर रहा था मेरे अज्म का तवाफ, दुनिया समझ रही थी कि कश्ती भंवर में है….. बचपन में ही माँ-बाप का सर से साया उठ जाने से के बाद अनाथ और बेसहारा हेमबती हुई हेमबती की उस समय शारीरिक और मानसिक अच्छी नहीं थी। कोई ठौर न कोई ठिकाना। ऐसी स्थिति में जिला प्रशासन कोण्डागांव, जिला बाल संरक्षण इकाई और महिला बाल विकास द्वारा उसे 17 अगस्त 2020 को देखरेख एवं संरक्षण के लिए कोण्डागांव के बालिका गृह में दाखिल कर दिया गया। उस समय हेमबती की आयु मात्र 11 वर्ष की और वजन 22 किलो था। बालिका गृह में उसकी लगातार काउसिंलिंग तथा स्वास्थ्य शिक्षा की व्यवस्था की गई। इसी दौरान आईटीबीपी 41वीं बटालियन के सहयोग से उसने जूडो खेल का प्रशिक्षण प्राप्त करना शुरू किया। हेमबती पूरे हिम्मत और हौसले के साथ इस खेल में धीरे-धीरे सिद्धहस्त होते गई और सफलता उसके कदम चूमने लगी। हेमबती फिलहाल कोण्डागांव के स्वामी आत्मानंद हिन्दी माध्यम उत्कृष्ट विद्यालय में कक्षा 10वीं में अध्ययनरत् है। जूडो खेल के प्रति समर्पण ने उसे एक उत्कृष्ट खिलाड़ी की श्रेणी में ला दिया है।

हेमबती नवम्बर 2021 में चण्डीगढ़ पंजाब में ओपन जूडो चैम्पियनशिप में सब जूनियर के 28 किलोग्राम वर्ग में राष्ट्रीय स्तर पर स्वर्ण पदक प्राप्त किया है। वर्ष 2022 में खेलो इंडिया के क्षेत्रीय प्रतियोगिता में कांस्य पदक और राज्य स्तरीय खेल स्पर्धा में स्वर्ण पदक, वर्ष 2023 में भोपाल में आयोजित राष्ट्रीय खेलो इंडिया टुनामेंट में पांचवां स्थान तथा राष्ट्रीय शालेय खेल स्पर्धा में कांस्य पदक, वर्ष 2024 में नासिक में आयोजित क्षेत्रीय खेलो इंडिया प्रतियोगिता एवं राष्ट्रीय शालेय जूडो प्रतियोगिता में कांस्य पदक विजेता रही है। वर्तमान में बालिका गृह कोण्डागांव में रह रही हेमबती नाग आगे की पढ़ाई के साथ-साथ जूडो का प्रशिक्षण प्राप्त कर रही है।