छत्तीसगढ़ी के ऐतिहासिक पृष्ठभूमि पर आलेख
छत्तीसगढ़ के इतिहास म अनेक रंग अउ संस्कार बसे हवय, जेमा छत्तीसगढ़ी भाषा के अपन अलग जगह हे। छत्तीसगढ़ी भाषा हमर पहिचान, हमर संस्कार अउ हमर गौरव हे। ये भाषा के मूल म अपन भूमि के प्रेम, अपन संस्कृति के सम्मान अउ अपन समाज के अपनापन हे। छत्तीसगढ़ी भाषा के इतिहास कई हजार बछर पुराना माने जाथे। ए इलाका म महाकौशल के समय से कई राजवंश ह राज करिस, जइसे कि कलचुरी राजवंश, मौर्य, सतवाहन, शरभपुरी, चालुक्य, मराठा अउ आखिर म अंग्रेज। एकर बावजूद इहाँ के लोगन मन अपन छत्तीसगढ़ी भाषा अउ संस्कृति ला अपन बनाए रखे हवंय। ये भाषा के सिरजन, विकास अउ प्रचार-प्रसार म इहाँ के साधु-संत, फकीर, कवि अउ जन सामान्य के बड़ योगदान रहे हे। छत्तीसगढ़ी म लोकगीत, लोककथा अउ लोकनाट्य के गजब परंपरा हे। देवदास बंजारे, लाला जगदलपुरी, दाऊ मंदराजी जइसे कवि मन ए भाषा म रचनामूलक योगदान दे के अमर हो गे हवंय। छत्तीसगढ़ी के लोकगीत, जस गीत, पंथी गीत, करमा, ददरिया, सुवा गीत मन ए इलाका के माटी के खुशबू अउ संस्कृति के झलक देथें। ए गीत मन म सिरिफ मनोरंजन नइ, बल्कि समाज के जिनगी, सुख-दुख, हंसी-ठिठोली अउ समरसता के भावना हे।
छत्तीसगढ़ी भाषा के विकास म साधु-संत मन के योगदान ला नजरअंदाज नइ करे सकन। कबीर, गुरु घासीदास, बाबा गुरुघासीदास जइसे संत मन इहाँ के लोगन मन ला अपन भाषा म उपदेश देके छत्तीसगढ़ी ला अउ मजबूती देय हवंय। गुरु घासीदास के उपदेश अउ सतनाम पंथ के प्रचार-प्रसार म छत्तीसगढ़ी के सिरजनात्मकता अउ अपनापन झलकथे। आज छत्तीसगढ़ी भाषा के मान्यता म अउ बढ़ोतरी होय हे। साल 2000 म छत्तीसगढ़ ला राज्य के दर्जा मिलिस, अउ इहाँ के भाषा अउ संस्कृति ला अउ बढ़ावा मिलिस। सरकारी कामकाज म छत्तीसगढ़ी भाषा के प्रयोग बढ़त हे, अउ साहित्य, सिनेमा, संगीत, अउ मीडिया म ए भाषा के बड़ महत्व बढ़त हे। साहित्यिक कार्यक्रम, छत्तीसगढ़ी साहित्य सम्मेलन अउ सांस्कृतिक महोत्सव मन म छत्तीसगढ़ी के मान बढ़ावत चलत हे। छत्तीसगढ़ी भाषा हमर माटी के महक, हमर संघर्ष के कहानी अउ हमर संस्कृति के परछी म हे। ए भाषा म अपन पहिचान ह, अपन अपनापन ह अउ अपन गरब हे। अतका बछर के इतिहास म कतेक बदलाव आए, फेर छत्तीसगढ़ी आज घलो अपन ठसक अउ अपन अदब ले आगे बढ़त हे, अउ ये हमर पईड़ म नई दिशा देत हे।