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मनरेगा योजना में बड़ा झोल, मजदूरों की जगह जेसीबी मशीन से हुआ काम, निसान मिटाने के लिए लगाए गए मजदूर

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पृथक छत्तीसगढ़ /सरायपाली।

मनरेगा योजना के तहत एक निजी डबरी निर्माण कार्य में बड़ा भ्रष्टाचार सामने आया है। मजदूरों के नाम पर जेसीबी मशीन से काम करवाया गया, जबकि मजदूरों को सिर्फ निसान मिटाने के लिए लगाया गया।

सरायपाली जनपद पंचायत अंतर्गत आने वाली ग्राम पंचायत पतेरापाली में मनरेगा योजना के तहत बनमाली/ घनश्याम की निजी डबरी (तालाब) निर्माण स्वीकृत की गई थी। यह कार्य महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगा) के तहत कराया जा रहा था, जिसका उद्देश्य ग्रामीण मजदूरों को रोजगार प्रदान करना और उन्हें आर्थिक रूप से सशक्त बनाना है। हालांकि, इस कार्य में बड़े पैमाने पर अनियमितताएं सामने आई हैं।

रिपोर्ट के अनुसार, रोजगार सहायक और मेट द्वारा मजदूरों को काम पर लगाने के बजाय जेसीबी मशीन का इस्तेमाल करके डबरी का निर्माण कार्य कराया गया। मनरेगा योजना के दिशा-निर्देशों के अनुसार, इस प्रकार के निर्माण कार्य केवल मजदूरों से कराया जाना चाहिए, ताकि उन्हें रोजगार मिल सके। लेकिन यहां मजदूरों को सिर्फ निसान मिटाने के लिए लगाया गया, ताकि कागजों में यह दिखाया जा सके कि मजदूरों से काम कराया गया है।

यह पूरा मामला तब सामने आया जब पंचायत की मनरेगा रिपोर्ट में अपलोड की गई तस्वीर में साफ देखा गया कि डबरी निर्माण के लिए जेसीबी मशीन के पड़े निसान दिखाई दे रहे है। इस रिपोर्ट से यह स्पष्ट हो गया कि मजदूरों को केवल दिखावे के लिए नाममात्र काम पर लगाया गया और वास्तविक काम मशीनों से करवाया गया। यह योजना के नियमों का स्पष्ट उल्लंघन है।

मनरेगा योजना के दिशा-निर्देशों के खिलाफ इस प्रकार की गतिविधियां भ्रष्टाचार की ओर इशारा करती हैं। मजदूरों के नाम पर पैसा निकालकर काम मशीनों से कराया गया, जो स्पष्ट रूप से घोटाले का प्रमाण है। इससे न केवल योजना की मंशा पर प्रश्नचिह्न उठता है, बल्कि ग्रामीण मजदूरों के हक पर भी चोट पहुंचती है।

इस तरह के घोटालों से न केवल गरीबों का हक मारा जा रहा है, बल्कि सरकारी योजनाओं का भी दुरुपयोग हो रहा है। अधिकारियों और संबंधित कर्मियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की की जानी चाहिए।

मनरेगा जैसी महत्वपूर्ण योजना का उद्देश्य ग्रामीण विकास और मजदूरों को रोजगार प्रदान करना है। लेकिन इस तरह के भ्रष्टाचार और अनियमितताएं योजना के लक्ष्यों को विफल कर रही हैं। सरकार और स्थानीय प्रशासन को इस मामले की गहन जांच करनी चाहिए और दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करनी चाहिए, ताकि भविष्य में इस तरह की घटनाएं न हो और गरीब मजदूरों को उनका हक मिल सके।