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बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ, स्लोगन को जिम्मेदारों ने बनाया मजाक, बदबूदार-गंदगी और भारी अव्यवस्था का आलम में स्कूल तो कैसे बेटी पढ़ाए साहब..?

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  • गवर्मेंट गर्ल्स मिडिल स्कूल पामगढ़ की बेटीयां, बदबू और गंदगी से परेशान
  • जिम्मेदारों ने लिखित शिकायत कर झाड़ लिया पल्ला, अधिकारीयों की अनदेखी

मुरली मनोहर शर्मा
पृथक छत्तीसगढ़/पामगढ़।

भारत सरकार की महत्त्वाकांक्षी योजना बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ की शुरुआत 22 जनवरी 2015 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा किया गया था। जिसका उद्देश्य नागरिकों को लैंगिक भेदभाव के विरुद्ध जागरूक करना और लड़कियों के लिए कल्याणकारी सुविधाओं की प्रभावकारिता में सुधार करना है। इसके बावजूद आज भी कुछ गैरजिम्मेदार अधिकारियों की लापरवाही के चलते लड़कीयों की शिक्षा और स्वास्थ्य दोनों पर खतरा मंडराने लगा है।

हम बात कर रहे हैं जांजगीर चाम्पा जिले के गवर्मेंट गर्ल्स मिडिल स्कूल पामगढ़ की जहाँ शिक्षा विभाग के अधिकारियों की उदासीनता के चलते पिछले दस वर्षों से छात्राओं की शिक्षा और स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ हो रहा है। इसके साथ ही यहाँ भारी अव्यवस्था भी फैली हुई है जो निश्चित रूप से चिंता का विषय है। आइए एक नजर डालते हैं यहाँ की उन समस्याओं पर जिसे अधिकारियों की अनदेखी के बाद भी यहाँ अध्ययन-अध्यापन का कार्य आज भी जारी है।

विद्यालय परिसर बनता जा रहा कूड़ादान
विद्यालय को ज्ञान का मंदिर कहा जाता है जिसे हमेशा साफ सुथरा होना चाहिए किंतु यहाँ आसपास के लोगों द्वारा कूड़ा करकट इत्यादि विद्यालय परिसर में ही फेंका जाता रहा है। जो ढेर लगने के कारण धीरे धीरे कूड़ेदान के रूप में बदलते जा रहा है।

परिसर के अंदर गंदी नालियों के पानी का हो रहा जमाव
जी हाँ, यहाँ विद्यालय परिसर में ही बाहरी गंदी नालियों के पानी का जमाव भी हो रहा है। विद्यालय के बाउंड्री वाल और कमरे के बीच लगभग चार फीट का अंतर है जिसमें लोगों द्वारा फेंका गया कूड़ा करकट जमा हो रहा है। इस कूड़े करकट की वजह से नालियों का पानी यहाँ जमा होते जा रहा है क्योंकि पानी की निकासी के लिए कोई नाली नही बनाई गई है किंतु विद्यालय के बाहर खुली नाली जरूर बनाई गई है जिससे निकलने वाली गंदी बदबूदार दुर्गंध विद्यालय के सभी कमरों सहित स्टाफ रूम तक फैल जाती है।

विद्यालय और छात्राओं की सुरक्षा भी है बड़ा सवाल
सुत्रों के अनुसार यहाँ आसपास के लोगों के द्वारा न केवल कूड़ा करकट फेंका जाता है बल्कि सुरक्षा के लिए बनाई गई दीवाल और तार की फेंसिंग को भी तोड़ दिया जाता रहा है। जिसके चलते मवेशी भी अंदर आ कर गंदगी फैलाते रहते हैं। साथ ही विद्यालय और छात्राओं की सुरक्षा पर भी प्रश्न चिन्ह लगता प्रतीत होता है।

 

बाहरी लोगों के आवागमन के लिए विद्यालय परिसर में बनाया गया है खास दरवाजा
यहाँ की अव्यवस्था का एक नमुना यह भी है कि बाहरी लोगों के विद्यालय परिसर से आने जाने के लिए भी एक खास दरवाजा भी बनाया गया है। जो अपने आप मे एक बड़ा सवाल है कि यह किस नियम के तहत और किसके द्वारा बनाया गया जबकि लोगों के आने जाने के लिए पीछे गली का रास्ता भी है। शिक्षकों का कहना है कि यह दरवाजा हमेशा ताले से बन्द किया जाता है किंतु गर्मियों में लोगों के द्वारा ताला तोड़कर आने जाने के लिए इस्तेमाल किया जाता है। इससे यह भी सिद्ध होता है कि इस विद्यालय में मौजूद सरकारी दस्तावेज और शासन की संपत्ति की सुरक्षा भगवान भरोसे ही है।

 

विद्यालय परिसर बन चुका शराबियों के लिए मयखाना
बाउंड्री वाल, टूटी फेंसिंग के चलते संभवतः यहाँ शराबियों की महफ़िल भी जमती है क्योंकि हमें यहाँ पर शराब की खाली बोतलें भी देखने को मिली हैं। जो कि निश्चित रूप से चिंता का विषय है। क्योंकि शराब के नशे में असामाजिक तत्वों द्वारा किसी भी घटना को यहाँ अंजाम दिया जा सकता है।

जिम्मेदारों और अधिकारियों ने की शिकायतों की अनदेखी
विद्यालय की ओर से कई बार ग्राम पंचायत सहित शिक्षा विभाग के अधिकारियों से भी इसकी लिखित रूप में शिकायत की जा चुकी है किंतु आज तक किसी भी जिम्मेदार ने इन समस्याओं को सुलझाना जरूरी नहीं समझा। जिम्मेदारों का यह रवैया इनके दायित्व निर्वहन के प्रति उदासीनता को दर्शाता है।

 

 

प्रवेशोत्सव पश्चात भी टेबल बेंच की नही की गई व्यवस्था
शासन के आदेश पर यहाँ भी प्रवेशोत्सव तो धूमधाम से मनाया गया लेकिन आज तक यहाँ टेबल बेंच की व्यवस्था नही की गई है। जिसके चलते छात्राओं को जमीन में बैठकर पढ़ना पड़ रहा है जबकि बरसात के मौसम में जमीन पर कीचड़ और कीड़ों के होने से इंकार नही किया जा सकता। दरअसल यहाँ के टेबल बेंच को परीक्षा आयोजन के समय दूसरे स्कूल में ले जाया गया था जिसे आज तक न तो उस स्कूल प्रबंधन ने पहुँचाना जरूरी समझा और ना ही जिम्मेदार अधिकारियों ने यहाँ के स्टाफ की बात सुनी। देखना यह है कि छात्राओं के लिए बैठक व्यवस्था को सुधारा जाता है या जमीन पर बैठ कर पढ़ना ही इनका नसीब बन जाता है।

 

अव्यवस्था को लेकर अभिभावकों में बढ़ रहा आक्रोश
इन सभी अव्यवस्था को देखते हुए यहाँ पढ़ने वाली छात्राओं के अभिभावकों में शासन-प्रशासन के सुस्त जिम्मेदारों के प्रति आक्रोश बढ़ते जा रहा है। एक अभिभावक ने बताया कि उन्होंने स्वयं अपने स्तर पर व्हाट्सप्प तथा कॉल के माध्यम से इन समस्याओं की जानकारी बीईओ पामगढ़, एसडीएम पामगढ़, डीईओ जांजगीर सहित कलेक्टर जिला जांजगीर को भी दी है। उनका जिम्मेदारों से यही सवाल है कि यदि इस विद्यालय में गरीब जनता के साथ ही उनके बच्चे पढ़ रहे होते तो क्या तब भी दस सालों से यही अव्यवस्था बनी रहती। जिसको लेकर अभिभावकों में आक्रोश बढ़ रहा है। बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ की सार्थकता सिद्ध करते हुए इन समस्याओं से बेटियों को मुक्त करें और अपने दायित्व को ठीक से नहीं निभाने वाले जिम्मेदार अधिकारियों पर कड़ी से कड़ी कार्यवाही करें ताकि फिर कभी कोई अधिकारी बेटियों की शिक्षा और स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ न कर सके।

शिक्षा विभाग आम जनता के विश्वास की कसौटी पर कब उतरेगा खरा..?
अब सवाल यह उठता है कि शिक्षा जीवन का आधार है जिससे एक शिक्षित समाज और सशक्त देश का निर्माण होता है। ऐसे में जिम्मेदारों का उदासीन होना शासन प्रशासन को शर्मसार करती है। एक ओर आम जनता गरीबी और बेरोजगारी से जूझ रही है तो दूसरी ओर शासन पर भरोसा जताते हुए शासकीय विद्यालयों में अपने बच्चों का बेहतर और उज्ज्वल भविष्य तलाश रही है। ऐसे में निरिक्षण पर हमेशा आने के बाद भी अधिकारियों का ऐसा रवैया देख कर आम जनता का विश्वास शासन पर से उठता जा रहा है। अब देखना होगा कि शासन शिक्षा विभाग को आम जनता के विश्वास की कसौटी पर किस प्रकार खरा उतारने का प्रयास करती है। ये तो आने वाला समय ही बताएगा।

विद्यालय की ओर से इन अव्यवस्थाओं को ले कर उच्च अधिकारियों से लिखित शिकायत की जा चुकी है किंतु अभी तक इनका समाधान नही किया जा सका है।

दिवाकर साहू प्रधानपाठक शासकीय कन्या पूर्व माध्यमिक शाला पामगढ़

बीइओ पामगढ़ और डीईओ जांजगीर से इस सम्बंध में कथन लेने कॉल किया गया किंतु दोनों अधिकारियों से संपर्क नहीं हो सका।