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साहित्यिक तपोभूमि नगरी में राजीव दीक्षित की स्मृति में स्वदेशी विचार संगोष्ठी आयोजित हुई

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राजनांदगांव। आजादी बचाओ आंदोलन के जनक, स्वदेशी के प्रखर व मुखर पक्षधर और ओजस्वी वक्ता राजीव भाई दीक्षित जी की 57वीं जयंती व 13वीं पुण्यतिथि को स्वदेशी दिवस मानते हुएए स्थानीय महामाया चौक, बसंतपुर स्थित मां पंचगव्य चिकित्सा एवं गौ-रक्षा अनुसंधान केन्द्र में स्वदेशी विचार संगोष्ठी का आयोजन किया गया।
उक्ताशय की जानकारी प्रदान करते हुए केन्द्र के वरिष्ठ सदस्य आनन्दकुमार श्रीवास्तव ने बताया कि अधिवक्ता राजकुमार शर्मा (संयोजक स्वदेशी जागरण मंच), सुदर्शनदास मानिकपुरी (प्रदेशाध्यक्ष-छग निर्माण मजदूर महासंघ, प्रदेश कार्यकारिणी सदस्य-भारतीय मजदूर संघ, प्रदेश कार्यकारिणी सदस्य-स्वावलंबी भारत अभियान), राधेश्याम गुप्ता वरिष्ठ समाजसेवी व पूर्व पार्षद, श्रीमती आभा श्रीवास्तव साहित्यकार व संपादक उजला आकाश, शारदा चंद्रा प्रांत संयोजिका-राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ, प्रदेश कार्यकारिणी सदस्य भारतीय मजदूर संघ, अल्का बारसागढ़े प्रदेश उपाध्यक्ष-छग निर्माण मजदूर महासंघ, अधिवक्ता भगवान झा वरिष्ठ स्वदेशी कार्यकर्ता, धीरज द्विवेदी योग प्रशिक्षक, हार्दिक कोटक संचालक गऊ शाला गातापार, आर्य प्रमोद केन्द्र प्रभारी, आनन्दकुमार श्रीवास्तव संस्थापक छत्तीसगढ़ कायस्थ महासभा वर्ष-1991 से 1998 की विशेष उपस्थिति में भाई राजीव दीक्षित जी के तैलचित्र पर गोमय माला अर्पण कर व दीपक प्रज्वलित करने व उपस्थितजनों को गौचंदन का तिलक लगाकर स्वागत करने के उपरांत प्रोजेक्टर पर स्वदेशी अवधारणा पर आधारित राष्ट्र की वास्तविक आजादी के अर्थ बताते चलचित्रों के प्रसारण के माध्यम से उपस्थितजनों के सम्मुख भाई राजीव दीक्षित जी के विचारों का सम्प्रेषण कर स्वदेशी विचार संगोष्ठी का प्रारंभ किया गया।
स्वदेशी के प्रखर आग्रही भाई राजीव दीक्षित जी की जीवनी तथा राष्ट्र के लिए प्राणों की आहुति दे देने वाले अमर बलिदानी की स्वदेशी चिंतन की ओज भरी वाणी से उपस्थितजनों की भावनाएं पूरे उत्साह से उमड़ पड़ीं और सभी ने एकमतेन होकर समवेत स्वर से व्यक्ति, समाज, राष्ट्र और प्रकृति मां के हितार्थ स्वदेशी को अपने जीवन में उतारने का संकल्प लिया। वहीं अनेक विद्वजनों ने स्वदेशी आचरण को विगत करीब 10 वर्षों से अपनाए जाने के उपरांत जीवन में आए सकारात्मक परिवर्तन के संस्मरणों से अवगत कराया। स्वदेशी विचारधारा राष्ट्र के विकास के लिए परम आवश्यक है, जो कि गौ माता के संरक्षण, संवर्धन से ही संभव हो सकता है। सकल सृष्टि का आधार ही गौमाता है। आत्मनिर्भर भारतवर्ष और स्वावलंबी भारतवर्ष की कल्पना को भी स्वदेशी गौ वंश की रक्षा करके ही साकार किया जा सकता है। राष्ट्र के किसानों को इस हेतु आगे आना होगा, जिससे कि शंकर बीज, हाई ब्रीड, जीएमओ फुड आदि से मानव स्वास्थ्य और भूमि की उर्वरा शक्ति को सुरक्षित किया जा सके। ऋषि व कृषि की धरती देवभूमि इस भारतवर्ष में स्वदेशी गौवंश का स्थान बहोत ही महत्वपूर्ण है।
संगोष्ठी के अंत में प्रसादी स्वरूप भोजन की व्यवस्था रखी गयी थी। इस अवसर पर सूर्यकांत चंद्राकार, आर्य धर्मेंद्र, टीकमचंद पटेल, मनोज शुक्ला, धनसु, पुरूषोत्तम देवांगन, प्रज्ञानंद मौर्य, राकेश सोनी, मेकल साहू, किशोर कुमार साहू, मनोज कश्यप आदि सहित गणमान्य नागरिकगण उपस्थित थे।