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अश्विनी वैष्णव ने बताया, भारत में मोबाइल और इलेक्ट्रॉनिक्स मैनुफैक्चरिंग का क्षेत्र तेजी से बढ़ा

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भारत में मोबाइल और इलेक्ट्रॉनिक्स की मैनुफैक्चरिंग क्षेत्र ने पिछले एक दशक में काफी आगे बढ़ा है. केंद्रीय इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री अश्विनी वैष्णव ने एक्स पर एक पोस्ट कर बताया कि बीते 10 सालों में मेक इन इंडिया प्रोग्राम से लेकर मोबाइल मैनुफैक्चरिंग में सरकार कितना आगे बढ़ी है. साथ ही उन्होंने एक्सपोर्ट सेक्टर में आए बड़े उछाल पर भी कई आंकड़े पेश किए.

10 सालों में एक्सपोर्ट में बड़ा उछाल
अश्विनी वैष्णव ने आगे बताया कि मोबाइल फोन निर्माण का मूल्य 2014 में मात्र 18,900 करोड़ रुपए था, जो फाइनेंशियल ईयर 2023-24 तक बढ़कर 4,22,000 करोड़ तक पहुंच गया है. इसके अलावा, 2014 में जहां मोबाइल निर्यात लगभग शून्य के बराबर था, अब यह 1,29,000 करोड़ को पार कर गया है. सरकार के ‘मेक इन इंडिया’ और ‘आत्मनिर्भर भारत’ अभियानों के तहत देश में उत्पादन को बढ़ावा दिया गया है, जिससे भारत इलेक्ट्रॉनिक्स मैनुफैक्चरिंग का एक प्रमुख केंद्र बन रहा है.

‘मेक इन इंडिया’ से आत्मनिर्भरता की ओर
उन्होंने बताया कि भारत अब केवल मोबाइल फोन ही नहीं, बल्कि खिलौनों, रक्षा उपकरणों और इलेक्ट्रिक वाहन मोटर्स के उत्पादन में भी आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ रहा है. सरकार का लक्ष्य भारत को वैश्विक मैनुफैक्चरिंग हब बनाना है. मंत्री अश्विनी वैष्णव के अनुसार, 1950 से 1990 के बीच लागू की गई सख्त नीतियों के कारण मैनुफैक्चरिंग क्षेत्र को नुकसान पहुंचा, लेकिन ‘मेक इन इंडिया’ इसको पूरी तरह से बदल रहा है. उन्होंने आगे बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में यह पहल भारत में उत्पादन बढ़ाने, आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देने और अधिक रोजगार पैदा करने की दिशा में अहम भूमिका निभा रही है.

घरेलू उत्पादन को मिला बढ़ावा
वैष्णव ने आगे बताया कि मोबाइल फोन निर्माण क्षेत्र ने पिछले एक दशक में 12 लाख से अधिक प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रोजगार के अवसर उत्पन्न किए हैं. सरकार का लक्ष्य अब वैल्यू चेन में और गहराई तक जाने का है, जिसमें अधिक से अधिक कंपोनेंट्स और चिप्स का घरेलू उत्पादन शामिल है. मंत्री वैष्णव ने बताया कि ‘मेक इन इंडिया’ कार्यक्रम के तहत भारत में अब चार्जर, बैटरी पैक, यूएसबी केबल, कीपैड, डिस्प्ले असेंबली, कैमरा मॉड्यूल, लिथियम-आयन सेल, स्पीकर और माइक्रोफोन जैसे कई कंपोनेंट्स और सब असेंब्लेज होने लगे हैं. इससे भारत के इलेक्ट्रॉनिक्स मैनुफैक्चरिंग क्षेत्र को काफी मजबूती मिली है.