बीजापुर।
सुरक्षाबल के लगातार बढ़ते दबाव के बीच माओवादियों ने नेतृत्व में परिवर्तन किया है. सबसे बड़ी बात यह है कि माओवादियों की सर्वोच्च संस्था सेंट्रल कमेटी में करीब एक दर्जन सदस्य हैं, लेकिन माड़वी हिडमा अब उनमें शामिल नहीं है. केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने नक्सल मुक्त भारत के लिए मार्च 2026 की समय सीमा तय की है. इस समय सीमा के हिसाब से सुरक्षाबल अपने काम को अंजाम भी दे रहे हैं.
लगातार धराशाई किए जा रहे छोटे-बड़े रैंक के नक्सलियों की वजह से सेंट्रल कमेटी का नए सिरे से गठन किया गया है. एक अधिकारी के अनुसार, वरिष्ठ माओवादी रामचंद्र रेड्डी उर्फ चलपति से जुड़ी हालिया मुठभेड़ से पहले तैयार किए गए डोजियर में उसे 12वें स्थान पर दिखाया गया था. हालांकि, अधिकारी ने कहा कि वह वास्तव में सेंट्रल कमेटी में शीर्ष 10 वरिष्ठ माओवादियों में से एक था. वहीं सेंट्रल कमेटी में सबसे युवा नक्सली 54 वर्षीय पतिराम मांझी है, जिसके सिर पर 1 करोड़ रुपये का इनाम है. पहले हिडमा केंद्रीय समिति को प्रभावित करने वाली प्रमुख आवाज़ों में से एक था. लेकिन उसे समिति में स्थान नहीं दिया गया है, लेकिन अभी वह 40 के दशक में ही है, इसलिए आने वाले दिनों में बदलाव हो सकता है. इनपुट बताते हैं कि 2017 के सुकमा हमले के बाद उसे पदोन्नत करते हुए बहुत महत्वपूर्ण पद पर रखा गया था. जानकारी के अनुसार, केंद्रीय समिति के साथ-साथ पूर्वी ब्यूरो में भी बदलाव हुए हैं. इस बीच केंद्रीय और राज्य दोनों की जानकारी के आधार पर मास्टर डोजियर से पता चलता है कि उत्तरी ब्यूरो- जिसमें पंजाब, उत्तर प्रदेश, हरियाणा और दिल्ली जैसे राज्य शामिल हैं- में भी कुछ बदलाव हुए हैं, एक अधिकारी ने नाम न बताने की शर्त पर बताया. इसी तरह, माओवादियों की केंद्रीय सैन्य समिति में 70 वर्ष से अधिक आयु के सदस्य शामिल हैं, सबसे कम उम्र का सदस्य 71 वर्ष का है. इनमें से कुछ कथित तौर पर स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं से पीड़ित हैं. सूत्रों ने यह भी कहा कि केंद्रीय समिति के कुछ सदस्य भी अब पिस्तौल और पुरानी कार्बाइन लेकर चल रहे हैं. माओवादियों के पास पहले से ही हथियारों की भारी कमी है. मिशिर बेसरा, गणपति, चंद्री और अन्य जैसे नेता अब एके-47 या कोई अन्य स्वचालित हथियार नहीं रखते हैं.