हाल में आबकारी आयुक्त द्वारा एक आदेश निकल गया है जिसके अनुसार 1 फरवरी 2025 से सभी अधिकारियों और कर्मचारियों को अपने अपने ऑफिस में बैठकर सार्थक ऐप पर लॉगिन करके अपनी लाइव तस्वीर देते हुए अटेंडेंस देने का फरमान जारी हुआ है। यह आदेश विभागीय अधिकारियों और कर्मचारियों के बीच चर्चा और बहस का विषय बन चुका है।
इस आदेश की जहां तारीफ हो रही है वहीं व्यावहारिक कठिनाइयों को देखते हुए आलोचना भी। विभागीय अधिकारियों का कहना है की आबकारी, पुलिस, परिवहन ,माइनिंग वे विभाग हैं जहां ड्यूटी अवर्स तय नहीं हैं, समय और स्थिति के अनुसार 24 घंटे काम करना पड़ता है। मुखबिर सूचना प्राप्त होने पर अपराध घटित होने से रोकने की जिम्मेदारी होती है, ऐसे में फील्ड अफसर को सुबह 10 से शाम को 6:00 बजे के ड्यूटी अवर्स से बांध देने से विभागीय कार्य बुरी तरह प्रभावित होंगे और सिस्टम चरमराने लग जाएगा।
सूत्रों की माने तो विभाग के अधिकारियों कर्मचारियों ने ड्यूटी अवर्स के अतिरिक्त काम न करने का सामूहिक निर्णय कर लिया है। यदि ऐसा होता है तो आसवनियों में प्रोडक्शन पर्याप्त न होने से रिटेल दुकानों में तालाबंदी की स्थिति तथा फील्ड में अपराध निर्मित नियंत्रण बुरी तरह प्रभावित होने की पूरी संभावना बन रही है।
सार्थक अप अटेंडेंस को ट्रेजरी से जोड़ा गया है, यानी ऑफिस अटेंडेंस न होने पर विभाग के अधिकारी या कर्मचारी की सैलरी ऑटोमेटिक मोड पर कट जाएगी। अभी विभाग के अधिकारी दिन-रात काम करते हैं। फील्ड में ही नहीं, आसवनियों में भी उत्पादन का कार्य सुबह 8:00 बजे से लेकर शाम को देर रात तक होता है, ऐसा इसलिए क्योंकि सप्लाई फेल होने पर शराब दुकानों पर तालाबंदी और सरकारी राजस्व के नुकसान का खतरा होता है।
विभागीय अधिकारियों की माने तो उन्हें निर्धारित 8 घंटे से ज्यादा काम करना पड़ता है। ऐसे में ड्यूटी अवर्स तय करने का मतलब ही है कि प्रातः 10:00 बजे के पहले और शाम को 6:00 बजे के बाद संबंधित अधिकारी को काम नहीं करना है। यदि ऐसा होता है तो ड्यूटी अवर्स के बाद रात को जब ज्यादा अपराध होने की संभावना होती है वैसे अवैध आबकारी अपराधों पर आबकारी की भूमिका खत्म हो जाएगी और अपराधियों के हौसले बढ़ेंगे।
एक्सपर्ट की माने तो शिक्षा स्वास्थ्य जैसे विभाग ऑफिस कार्यालय में बैठकर कार्य करने होते हैं, वहां सार्थक ऐप की उपयोगिता है। किंतु पुलिस, आबकारी माईनिंग जैसे विभागों को ऑफिस अवर्स में बांध देने की इतनी जल्दी क्या थी? विभागीय सूत्रों की माने तो आबकारी के नए मुखिया अभिजीत अग्रवाल आईआईटी ग्रैजुएट्स है और उन्हें आईटी की समझ है। किंतु कोरा ज्ञान कई व्यावहारिक कठिनाइयां पैदा करता है वही आज आबकारी विभाग के साथ होता दिखाई दे रहा है। ज्ञान को व्यावहारिक होना चाहिए, ऐसा न होने पर व्यावहारिक कठिनाइयां होने की संभावना होती है।
एक विभागीय अधिकारी से बात हुई तो उन्होंने शिकायती लहजे और दुखी मन से बताया की ड्यूटी अवर्स में बांधने का मतलब है कि यदि शाम को 6:00 बजे के बाद कोई अवैध शराब से भरा ट्रक जा रहा है और उसकी सूचना विभाग को प्राप्त होती है तो हमें उसे जाने देना है कोई कार्यवाही नहीं करनी है। क्या सरकार की यह मंशा है?
ऑफिस में बैठकर नियम कायदे कानून बनाना, लगता अच्छा है पर व्यवहार में समस्याएं और बढ़ती हैं। वही आज आबकारी विभाग में होता दिख रहा है। ऐसे में विभाग और आबकारी कमिश्नर के बीच की यह रस्सा कशी कहां जाकर रुकेगी यह तो समय ही बताएगा।