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प्रयागराज महाकुंभ आरंभिक दो मुहूर्त में कीर्तिमान बने : चार दिन में सात करोड़ श्रृद्धालुओं ने डुबकी लगाई

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प्रयागराज। प्रयागराज महाकुंभ आरंभ हो गया है । ग्रहों की स्थिति के अनुसार इस वर्ष यह मुहूर्त 144 वर्ष बाद आया है । देश में आई साँस्कृतिक चेतना है और अमृत मुहूर्त में डुबकी लगाने केलियै जन सैलाव उमड़ पड़ा है । चार दिनों में महाकुंभ आने वाले श्रृद्धालुओ का आंकड़ा लगभग सात करोड़ के पार हो गया । अनुमान है पूरी कुंभ अवधि में यह संख्या पचास करोड़ से अधिक हो सकती है ।महाकुंभ आयोजन केवल स्नान तक सीमित नहीं है । यह आध्यात्म साधना, भक्ति, सृष्टि की सकारात्मक ऊर्जा और आत्मशक्ति से जुड़ा है । यह संसार का सबसे बड़ा सार्वजनिक समागम है । पौष पूर्णिमा 13 जनवरी से आरंभ हुआ यह महाकुंभ समागम डेढ़ माह चलेगा। यूँ तो पूरी महाकुंभ अवधि में पुण्य प्राप्ति का योग होता है । फिर भी स्नान की विशेष तिथियों में जन सैलाव उमड़ पड़ता है । आरम्भिक चार दिनों में ही संगम में डुबकी लगाने वालों का ऑकड़ा सात करोड़ पार हो गया है । इस वर्ष महाकुंभ में कुल छै विशिष्ट तिथियाँ हैं। इनमें दो विशिष्ट मुहूर्त की तिथियाँ पौष पूर्णिमा और मकर संक्राति की दोनों तिथियों पर देश विदेश के लगभग पाँच करोड़ लोगों ने संगम में डुबकी लगाई थी। पहले दिन 13 जनवरी पौष पूर्णिमा को लगभग डेढ़ करोड़ और 14 जनवरी मकर संक्रांति को लगभग साढ़े तीन करोड़ तीर्थ यात्रियों ने संगम में डुबकी लगाई । इनके बाद प्रतिदिन महाकुंभ आने वाले श्रृद्धालुओ की संख्या एक करोड़ का आँकड़ा छू रही है । महाकुंभ आने वाले साधु संत और साधकों की संख्या लगभग डेढ़ लाख है । चारों शंकराचार्य पीठों, सभी अखाड़ों और प्रमुख संतों के पाँडाल लगे हैं। पाँच सौ से अधिक पंडालों में प्रतिदिन प्रवचन चल रहे हैं। लगभग पन्द्रह हजार साधु संत कल्पवास कर रहे हैं। कल्पवास की अवधि एक माह होती है । इस अवधि में साधक सात्विक और संतुलित भोजन करते हैं । निरंतर साधना और नियमित दिनचर्या द्वारा अपनी आन्तरिक ऊर्जा को जाग्रत करते हैं। योग विज्ञान के अनुसार यदि व्यक्ति मन को नियमित करके अपनी ऊर्जा शरीर ब्रह्मस्तान चक्र पर केन्द्रित करने का अभ्यास करले तो वह अंतरिक्ष की अनंत ऊर्जा से जुड़ जाता है । महाकुंभ परंपरानुसार पहले संतों के स्नान होते हैं उनके बाद जन सामान्य स्नान करते हैं। माना जाता है कि आध्यात्म साधकों और संतों के स्नान के बाद जल में अतिरिक्त ऊर्जा का संचार होता है । उस ऊर्जावान जल में स्नान करने से जन सामान्य को भी अतिरिक्त आंतरिक शक्ति अनुभव होती है। इसीलिए अखाड़ो और संतों के स्नान के बाद जन सामान्य का स्नान आरंभ होता है। 

महाकुंभ की प्रमुख तिथियाँ 

 महाकुंभ की पूरी अवधि अमृतकाल मानी जाती है । इस अवधि में कभी भी किये गये स्नान का महत्व है । फिर भी कुछ विशिष्ट तिथियाँ होती हैं । जिनमें स्नान करना अमृत स्नान माना जाता है । इनमें पौष पूर्णिमा और मकर संक्रांति का शाही स्नान हो चुका है । तीसरी तिथि 29 जनवरी है । पंचांग के अनुसार उस दिन मौनी अमावस्या है । मोनी अमावस को भी संतों के स्नान के बाद जन सामान्य भी त्रिवेणी में स्नान करेंगे। पंचांग के अनुसार इस दिन आकाशीय क्षेत्र में कुछ ऐसी ऊर्जा उत्पन्न होती है जो जल को ऊर्जामय बनाती है । इसलिये इसदिन पवित्र नदियों में स्नान का महत्व है । अनुमान है मोनी अमावस को भी तीन करोड़ से अधिक श्रृद्धालु प्रयागराज आ सकते हैं। इसके बाद का मुहूर्त तिथि 3 फरवरी है । यह बसंत पंचमी का दिन है । पौराणिक आख्यानों के अनुसार यह तिथि ज्ञान की देवी माता सरस्वती का प्रकटोत्सव का दिन है । इस दिन भी पहले संतों का शाही स्नान होगा और फिर अन्य श्रृद्धालु डुबकी लगायेंगे । इसके बाद मुहूर्त तिथि 12 फरवरी है । यह माघ पूर्णिमा का दिन है । सामान्यतः यह कल्पवास की पूर्णता का दिन है । महाकुंभ अवधि में संतों और साधकों का कल्पवास पौष पूर्णिमा से आरंभ हुआ था । वह एक माह की अवधि माह पूर्णिमा को पूरी हो रही है । यद्यपि जिन संतों और साधकों ने बाद की तिथियों से अपना कल्पवास आरंभ किया है । उनका अभी निरन्तर रहेगा । लेकिन अधिकांश साधकों का कल्पवास माह पूर्णिमा को पूरा हो जायेगा । इसके बाद अमृत स्नान की तिथि 26 फरवरी है । यह महाशिवरात्रि का दिन है । शिवरात्रि भगवान शिव और माता पार्वती के विवाह की तिथि है । यही महाकुंभ के समापन की तिथि है । अखाड़ों और संत साधकों का महाकुंभ वास इसी दिन पूर्ण हो जाता है और वे प्रातः स्नान के बाद मध्यान्ह तक विदा हो जाते हैं। लेकिन सामान्य श्रृद्धालुओ के समूह बने रहते हैं। अनुमान है इस वर्ष महाकुंभ के औपचारिक समापन के बाद कमसेकम एक सप्ताह और भी जन सामान्य की उपस्थिति बनी रहेगी ।

सुरक्षा एवं भीड़ प्रबंधन 

उत्तर प्रदेश सरकार के मुख्यमंत्री योगी जी और उनकी टीम को इस ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व के समागम महाकुंभ में श्रृद्धालुओं के आने का अनुमान संभवतः पहले हो गया था । इसको ध्यान में रखकर कुंभ क्षेत्र का विस्तार किया और इसे ध्यान में रखकर भीड़ प्रबंधन और सुरक्षा प्रबंध किये। इन दोनों कार्यों केलिए आधुनिक तकनीक का उपयोग किया जा रहा है । पूरे महाकुंभ क्षेत्र में हवाई निरीक्षण और भीड़ प्रबंधन के लिए 11 टेथर्ड ड्रोन के साथ ही एंटी-ड्रोन सिस्टम लगाये गए हैं । टेथर्ड ड्रोन का सिस्टम नियंत्रण का दायित्व एडीजी रैंक के अधिकारियों को सौंपी गई है । टेथर्ड ड्रोन केबल ग्राउंड स्टेशन से जुड़े होते हैं । इन केबल्स के माध्यम से ही ड्रोन्स तक बिजली आपूर्ति की जाती है । बिजली प्रवाह निरंतर हो इसकी व्यवस्था भी की गई है । इस अतिरिक्त प्रबंध के चलते सामान्य ड्रोन की तुलना में इनकी कार्य क्षमता और समयावधि भी अधिक होती है। ये ड्रोन्स बिना रुके लगातार 12 घंटे तक निगरानी करते हैं । ये 120 मीटर की ऊंचाई तक उड़ान भर सकते हैं और 3 किलोमीटर क्षेत्र को कवर कर सकते हैं। नवीनतम थर्मल और आईआर कैमरों से सुसज्जित ये ड्रोन दिन और रात, दोनों समय 4K लाइव फुटेज के साथ 36x ऑप्टिकल और 8x डिजिटल जूम क्षमता से भी लैस हैं.चार टेथर्ड ड्रोन यूपी पुलिस के सुरक्षा विभाग ने तैनात किए हैं जबकि चार यातायात विभाग और तीन आतंकवाद रोधी दस्ते (एटीएस) तैनात किए हैं। इन ड्रोन्स का उपयोग भीड़ प्रबंधन से लेकर यातायात प्रबंधन, संदिग्ध गतिविधियों का पता लगाने, आपातकालीन प्रतिक्रिया के साथ ही मैनपावर के प्रबंधन के लिए किया जा रहा है।

एंटी ड्रोन सिस्टम भी तैनात

भीड़ प्रबंधन के साथ पूरे महाकुंभ क्षेत्र में सुरक्षा एवं निगरानी के भी विशिष्ट प्रबंध किये गये हैं। पूरे उत्तर प्रदेश के विभिन्न जिलों से सुरक्षा सैनिक बुलाये गये हैं। इसके अतिरिक्त आधुनिक संयंत्रों के साथ विशिष्ट बल भी तैनात किये गये हैं। इसमें निगरानी केलिये ड्रोन का उपयोग भी किया जा रहा है। साथ ही हवाई खतरे से निपटने के लिए एंटी ड्रोन सिस्टम की तैनात किया गया है। इनकी मानिटरिंग केलिये विशेष कंट्रोल रूम बनाया गया है । संपूर्ण मेला क्षेत्र में तीन स्थलों पर एंटी-ड्रोन सिस्टम भी तैनात किए गए हैं । इस बार कुछ संदिग्ध ड्रोन भी देखे गये थे।इसलिये इस बार एन्टी ड्रोन सिस्टम भी तैनात किये गये हैं, जो आठ किलोमीटर के दायरे में दुश्मन ड्रोन का पता लगाकर उनके सिग्नल जाम करने में सक्षम हैं । यह एन्ट्री ड्रोन सिस्टम पूरे महाकुंभ परिक्षेत्र के अतिरिक्त एक रडार-आधारित सिस्टम भी तैनात किया गया है जो 15 किमी दूर तक किसी संदिग्ध ड्रोन का पता लगा सकता है और तीन किलोमीटर के भीतर उन्हें निष्क्रिय कर सकता है । मीडिया के समाचारों के अनुसार महाकुंभ आरंभ होने के आरंभिक सप्ताह में मेला क्षेत्र की सीमा में अब तक नौ अवैध ड्रोन निष्क्रिय किए जा चुके हैं। इनमें से छह ड्रोन तो अकेले 14 जनवरी को मकर संक्रांति के दिन ही निष्क्रिय किए गए । इनमें से एक ड्रोन रेड जोन के करीब निष्क्रिय किया गया था। यूपी पुलिस के टेथर्ड ड्रोन के संचालन की निगरानी एडीजी रैंक के अधिकारी के साथ ही एसपी ट्रेनिंग और एसपी सुरक्षा कर रहे हैं जबकि यातायात विभाग के ड्रोन की निगरानी एडीजी (ट्रैफिक) और आईजी ट्रैफिक को सतत निगरानी करने , एटीएस के ड्रोन की निगरानी एडीजी एटीएस के जिम्मे है। पूरे कुंभ क्षेत्र में 60 हजार से अधिक सुरक्षाकर्मी तैनात किये गये हैं। पूरे क्षेत्र को गूगल से नेविगेट किया जा रहा है।

स्वच्छता के विशिष्ट प्रबंध 

 महाकुंभ स्नान केलिये इस वर्ष महाकुंभ में प्रतिदिन आने वाले श्रृद्धालुओ का औसत एक करोड़ से अधिक है । इतने बड़े समूह के समन्वय के साथ स्वच्छता भी एक चुनौतीपूर्ण होता है । प्रतिदिन कितने नरियल कितनी फूल मालाएँ और कितनी पूजन सामग्री त्रिवेणी संगम में प्रभावित किये जा रहे हैं। लेकिन उत्तर प्रदेश सरकार ने सफाई की व्यवस्था भी इतनी प्रभावी की है जिससे पानी एक दम स्वच्छ दीख रहा है । महाकुंभ क्षेत्र में सफाई टोलियाँ चौबीस घंटे काम रही हैं । महाकुंभ आरंभ होने के पहले सप्ताह में लगभग आठ करोड़ से अधिक श्रृद्धालु डुबकी लगा चुके हैं । इतने समूह के डुबकी लगाने के बाद भी पानी साफ है । इस साफ सफाई के लिए सैकड़ों कार्यकर्ता और कर्मचारी तैनात किये गये हैं ।  संगम में 40 नावों के साथ सफाई कर्मचारी चौबीस घंटे तैनात हैं । वे हाथों में जाल लेकर सतत सक्रिय रहते हैं । जैसे ही उन्हें फूल, नारियल या कोई वस्तु दिखते ही वहाँ तैनात कर्मचारी उस वस्तु को जाल में फंसाकर निकाल लेते हैं । संगम प्रवाहित जल की स्वच्छता के साथ संगम के तट पर सफाई के लिए भी अतिरिक्त टीमें तैनात की गई है। सफाई टीमों केलिये एक विशिष्ट ड्रेस भी तैयार की गई है । इसके पीछे बड़े अक्षरों में "मैदान साफ" लिखा है ।

विदेशों से भी श्रृद्धालु आये 

महाकुंभ का यह योजन केवल भारत वासियों केलिये श्रृद्धा, आस्था अथवा आकृषण का केन्द्र नहीं अपितु विदेश से आने वाले श्रृद्धालुओ की भी बड़ी संख्या है । इनमें दोनों प्रकार के तीर्थ यात्री हैं। जो पर्यटक समूह के रूप में कुंभ देखने आये हैं वे भी और श्रृद्धा सहित अपने परिवार सहित  कुंभ स्नान के लिये आये विदेशी यात्री भी। इसी क्रम में गुरुवार 16 जनवरी को 10 देशों के 21 सदस्यीय दल ने संगम में डुबकी लगाई। इस दल के आवास की व्यवस्था अरैल क्षेत्र स्थित टेंट सिटी में की गई थी । यह परिसर उत्तर प्रदेश राज्य पर्यटन विकास निगम ने अति विशिष्ट यात्रियों के लिये निर्मित किया है। जो पूरी कुंभ अवधि तक रहेगा । इस दल के सदस्यों ने हेलीकॉप्टर से महाकुंभ क्षेत्र का अवलोकन भी किया । इस अंतर्राष्ट्रीय दल में फिजी, फिनलैंड, गयाना, मलेशिया, मॉरीशस, सिंगापुर, दक्षिण अफ्रीका, श्रीलंका, त्रिनिदाद एंड टोबैगो और संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) के प्रतिनिधि शामिल हैं। इस दल के अतिरिक्त नेपाल, सिंगापुर, श्रीलंका, ब्राजील, जर्मनी, थाईलैंड, जापान, इंग्लैंड, अमेरिका और स्पेन जैसे देशों के यात्रियों ने भी संगम में डुबकी लगाई । 

विदेशी यात्रियों की प्रतिक्रायाएँ 

अनेक विदेशी पर्यटकों ने अपने अनुभव मीडिया को भी साँझा किये । रूस की जेरेमी पिछले सात सालों से सनातन धर्म के अनुसार जीवन जी रहीं हैं। उन्होंने त्रिवेणी संगम में डुबकी लगाई और मंदिरों के दर्शन भी किये । उन्होंने कुंभ स्नान करना आनंद दायक अनुभव बताया और कहा कि सनातन धर्म तर्कशील है। इसमें अंधविश्वास नहीं अपितु अनुभव सिद्ध परंपराएँ हैं। एक श्रद्धालु जोनाथन पहली बार कुंभ में आए । उन्होंने कहा कि "उन्हे बहुत अच्छा लगा, यहां के लोग बहुत प्यारे हैं"। उन्होंने शाकाहारी भोजन किया । भोजन, मंदिर तथा तीर्थस्थलों और मंदिरों को अद्भुत बताया । पौलेंड से आईं सुश्री क्लाउडिया ने कुंभ स्नान को जीवन को जीवन का सबसे अलग एवं सुखद बताया । स्पेन से अपने मित्रों के साथ आये जोंस ने बताया की स्नान के बाद उन्होने अतिरिक्त ऊर्जा अनुभव की । यात्रा को आनन्द दायक बताया । इस दल में स्पेन, ब्राजील और पुर्तगाल के उनके मित्र हैं । साउथ अफ्रीका के केपटाउन से आईं निक्की ने भी अपना अनुभव अद्भुत बताया । उन्होंने बताया कि स्नान के बाद उन्होंने अपने भीतर अतिरिक्त शक्ति अनुभव की। उन्होने इतने लोगों की इतनी अच्छी व्यवस्था केलिये स्थानीय नागरिकों और प्रशासन की भी प्रशंसा की ।जापान से आए मसाजी ने बताया कि वह दूसरी बार कुंभ स्नान को आए हैं । यहां आकर जो प्रसन्नता मिलती है उसे शब्दों से नहीं कहा जा सकता । उन्होने कहा "मैं हिंदू नहीं हूं, इसके बावजूद यह मेरे लिए अद्भुत अनुभव है । जापान से आई एक अन्य श्रद्धालु मिसाकी ने भी माना कि उन्हें यहां का शांति का अनुभव हो रहा है। ऑस्ट्रेलिया से आईं श्रद्धालु मंजरिका एक शिक्षक हैं । वे भारत घूमने आईं हैं। उन्होंने महाकुंभ की चर्चा सुनी और यहाँ आईं। उन्होंने कहा जैसा अनुभव यहाँ मिला वो कहीं नहीं।