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सीरिया में दरगाह पर किए गए हमले को किया नाकाम, हमलावर टुकड़ी गिरफ्तार 

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दमिश्क। सीरिया की खुफिया एजेंसी ने दावा किया है कि उसने इस्लामिक स्टेट (आईएस) के हमले को नाकाम कर दिया है। यह हमला दमिश्क के पास स्थित सैयदा जैनब दरगाह पर होने वाला था, जिसे समय रहते नाकाम कर दिया और हमलावरों को गिरफ्तार कर लिया है। यह दरगाह शिया मुसलमानों का पवित्र स्थल है। यह घटना पिछले महीने बशर अल-असद के सत्ता से हटने के बाद आईएस के फिर से सक्रिय होने की आशंका को बढ़ाती है। 
सीरिया में कट्टर सुन्नी विचारधारा वाले एचटीएस के सत्ता पर काबिज होने के बाद से शियाओं और दूसरे धार्मिक अल्पसंख्यकों का भविष्य पर खतरा मंडराने लगा है। हालांकि एचटीएस ने सबको साथ लेकर चलने की बात कही है। इस गुट का नेता अलकायदा और आईएसएस से जुड़ा रहा अबू मोहम्मद जुलानी है। दमिश्क से 10 किलोमीटर दक्षिण में ये दरगाह स्थित है। ये जगह पूरी दुनिया के शिया तीर्थयात्रियों के लिए आस्था का केंद्र है। सीरिया में 13 साल के गृह युद्ध के दौरान भी इस दरगाह की रक्षा एक अहम मुद्दा थी। 
इराक-ईरान समेत कई देशों से शिया लड़ाके इस दरगाह की हिफाजत के लिए सीरिया पहुंचे थे। इस्लामिक स्टेट किसी की भी दरगाह को गलत कहता है और ऐसी जगहों पर हमलों को अंजाम देता है। आतंकी समूह आईएस ने पहले भी इस दरगाह के अंदर और आसपास हमले किए हैं। ये पश्चिम एशिया के सबसे प्रमुख शिया धार्मिक स्थलों में है। पैगंबर मोहम्मद साहब के परिवार से होने के साथ ही पैगंबर की शिक्षाओं और विरासत को संरक्षित करने में भूमिका निभाने और विपरीत परिस्थितियों में अटूट धैर्य रखने के लिए सैयदा जैनब का मुसलमानों के बीच बहुत सम्मान है।
सीरिया में सुन्नी बहुसंख्यक हैं, जबकि शिया अल्पसंख्यक हैं। सैयदा जैनब दरगाह पर हमले की कोशिश क्षेत्र में शिया और सुन्नी गुटों के बीच तनाव को दर्शाती है। यह घटना सीरिया के जटिल राजनीतिक और धार्मिक परिदृश्य को भी उजागर करती है। नई सरकार के लिए विभिन्न धार्मिक समूहों के बीच शांति और सुरक्षा बनाए रखना एक बड़ी चुनौती होगी। एक्सपर्ट का मानना है कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय को सीरिया में स्थिरता लाने और अल्पसंख्यकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए सक्रिय भूमिका निभानी होगी।